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आज के बचो को देख कर ख़ुशी होती है कि कितनी ज्ञान कि बाते जानते. हमारे समय में यह सोशल मीडिया नहीं था. लेकिन आज के बचो के पास बहुत प्रकार के सादन हैं. मुझे ऐसे लगता है कि हमें अपने बचो को बचपन से ज्ञान कि बाते समझनी चाहिये ता कि ज़िन्दी का एहम समय
बस ज़िंदगी के तजुरुभे में न निकल जाये. पर में यह भी मानती हूँ कि वह अपने बचपन को अच्छे से जिए क्यूंकि बचपन फिर लौट के नहीं आता.
१२ साल कि बची ने मुझे हैरान कर दिया जब यह जाना कि वह इतनी अच्छी कविताये लिखती है, पेंटिंग करती है, इतनी अच्छी रंगोली बनती है.
यहाँ तक कि पराई में भी आगे है. उसे १२ साल कि उम्र में पता है कि उसे अपने को ज़िंदगी के किस मुकाम पर लेकर जाना है. उसे अच्छी बुरी बहुत सी बातो का ज्ञान है. और यह उस कि माँ और भाई कि वजय से है. जो उसे इतनी अच्छी शिख्शा देते है, यहाँ तक आगे बढ़ने में उसे हर
तरहे से साहस देते है. यही बस नहीं मेरी मुलाक़ात उस से इंटरनेट के द्वारा हुई, वह तब मेरी ज़िंदगी में आई जब में पूरी तरहे से टूट चुकी थी.
उस ने मेरे बुरे समय में संभाला और मेरे दुखो को भाँटा. आज के समय में जहा कोई रिश्तेदार भी आप के अपने नहीं बनते, वह वह लड़की मेरी कुछ न होते हुए मेरी ज़िंदगी कि परी बन गई. उसे में एंजेल मेघा कहती हूँ. उसे देख कर विचार आया कि अगर हम अपने बची को ऐसे संस्कार भरे, तो आने वाला भारत तो अपने आप खुशाल होगा. क्यूंकि जो आज के बचे है वही तो भारत का कल है. इस लिए हमें बच्चो कि शिक्षा और संस्कार पे धयान देना होगा. वही है जो आने वाले भारत को स्वछ रख सकते, सवार सकते है. और यहाँ तक कि सामाजिक कुरित्यो को दूर कर सकते है. बस आज शुरआत करी कुछ विचार आप सब से बांटे.
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