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नशा- एक लकड़ियों की सेज

loveabhi
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बात उस समय की है जब में छोटी थी और पंजाब के एक छोटे से शहर में रहती थी. घर में नशे की आदत को बहुत बुरा माना जाता था. हमेशा से यह बात मन में बैठ चुकी थी की नशा करना गलत है और नशा करने वालो से दूर रहो. आस पास के घरों में अकसर ऐसे देखने को मिलता था जहा पति अपनी पत्नी को पीट रहा है, बच्चो को गालियां दे रहा है क्यूंकि वोह नशे में होता था. मैं भी बाकी लोगो की तरहेँ ऐसे लोगो को शराबी कह के सम्भोदित करती थी. मैं देखती थी की जब शादी के रिश्ते आते तो लोग अकसर यह बात देखते की लड़का कोई नशा तो नहीं करता. फिर जब हम देल्ही आये यहाँ भी आस पास ऐसे लोग देखने को मिलते, जो पी के अपनी घर की औरतो और बच्चो को इस हद तक बुरा बोलते की जो हम सोच नहीं सकते. और घर के आस पास के पडोसी भी मज़ाक बना के वोः बाते सुनके चुटकी लेते की आज फिर मुफ्त में नाटक देखने को मिल गया. एक दिन एक पास के घर में एक बूढ़ी औरत के पास बैठी थी जब उनकी एक जान पहचान वाली एक औरत रो रो के कह रही थी कि बस ईश्वर किसी तरहेँ से मेरे बच्चे को नशे से बाहर निकाल दे. मैंने और उस बूढ़ी औरत ने उन्हें चुप करवाया मैंने पुछा कि क्या हुआ, उस ने अपनी बात बताई कि वोः पंजाब से है और अपनी बेटी से देल्ही मिलने आई है, उस ने बतया कि उस का बेटा जो कि २३ साल का है वोः नशे कि लत में फस चूका है. मैंने पुछा कि कब आप को पता चला था कि उसे यह बुरी आदत है, वोः औरत बोली जब उसने घर में पहली बार मारना पीटना शुरू किया तब पता चला. पहले वोः एक बहुत ही नेक बच्चा था, माँ पिता की आदर करने वाला. पढ़ाई करते वक़त उसे कुछ ऐसे लोग मिले जिन्होंने पहले सस्ते मे उसे नशे की लत लगाई और फिर जब वोः बुरी तरहेँ से इस नशे में गिरीफ़ित हो गया तब वोः उस से पैसे लाने को बोलते, हमे पता नहीं चला और उस ने घर के बहुत कुछ बेच दिया आज वोः रोता है, नशा छोड़ना चाहता है पर छोड़ नहीं पाता. उस दिन पहली बार मेरा नजरिया बदला और में उस औरत के दुःख उस की आँखों से बहते हुए देख रही थी. मैं कुछ कर नहीं सकती थी पर होंसला दिया. कुछ दिन बीते फिर से एक ऐसे कोई औरत को रोते देखा कहीं, वह एक २६ साल की औरत और दो छोटे बच्चो की माँ थी,
वह अपने बच्चो के लिए परेशान थी कैसे परवरिश करे, पति सारा पैसा नशे में बर्बाद कर रहा था. कही कपडे सिलने का काम ढून्ढ के घर चलना शुरू किया उस ने. फिर मुलाक़ात हुई एक भले इंसान से जो की एक बहुत अच्छा दोस्त बन गया. और उस ने तो नशा करने वालो के प्रति मेरा नज़ीरिया पूरी तरहे से बदल के रख दिया. एक २९ साल का लड़का जिस का दिन शराब से शुरू होता और रात में शराब पे खत्म होता था. शुरुआत में कुछ लोगो ने उस से बात करने से रोक की शराबी है, कुछ काम नहीं करता, कभी इधर कभी उधर गिरा रहता, इस से तो बात भी मत करना. मज़े की बात तो यह है की जो समझाने वाले लोग थे, वह मेरे एक जानने वाली के वजय से मिले थे. और वह हर लड़की को इस ऐसे नज़र से देखते की मनो लड़की नहीं, या इंसान नहीं बल्कि कोई चीज़ हो. उस शराबी इंसान ने बिना किसी स्वार्थ से दोस्ती की क्यूंकि वह ज़िंदगी से अकेला, हार चूका इंसान था. उस ने बताया की वह अंदर से बुरा इंसान नहीं बस शराब की बुरी लत में फस चूका है. मैंने उस की ज़िंदगी की शुरुआत से उसे जाना तो का कारन सामने आये, छोटी उम्र में जब वह पढ़ता था. स्कूल जाता था तब कुछ अपनी उम्र से बड़े लड़को से दोस्ती हुई और पहली बार उस ने नशे का स्वाद चखा, फिर क्या था वह दो चार घूँट ले लेता था शराब के, पैसे की कमी नहीं थी घर पे. तो माँ बाप से खुला पैसा भी मिलता था. १९ साल की उम्र तक गाड़ी में घूमना खुले पैसे, दोस्त भी सब साथ रहते, लडकिया भी खूब दोस्ती करती, ज़िंदगी जैसे इतनी हसीं लग रही थी उसे, क्यूंकि पैसे के लिए कोई मेहनत नहीं करना होता था बस घर में बोलता तो पैसे उसे मिल जाते थे. एक लड़की से सच्चा प्यार भी हुआ, पर शादी नहीं कर पाया क्यूंकि वह उस वक़त कोई काम नहीं करता था, और लड़की के घर वालो ने भी समझाया की यह तो शराबी है, कुछ कमाता नहीं बल्कि जो है घर में वह भी बेच देगा, उस लड़की ने उस का इंतज़ार नहीं किया और एक भले इंसान से शादी कर ली जो पैसे कमाता, परिवार की ज़िमेदारी संभालता. वह शराबी लड़का बहुत दुखी रहने लगा क्यूंकि वह दिल से बहुत प्यार करता था बस उस वक़त ज़िमेदारी नहीं उठा सकता था तो अपने प्यार को खो दिया, अब नशे की आदत तो पहले से ही थी तो फिर क्या था अपने गम बुलाने के लिए उस ने शराब का ही सहारा लिया, रात दिन इतनी पी की उसे शुगर की बीमारी हो गई. बस अब उसे लगता था की ज़िंदगी में कुछ नहीं है. बस शराब ही है जो उसे सहारा दे सकती है. वह डूबता ही चला गया. एक बचपन का दोस्त जो भाई जैसे था पर वह भारत से बहार चला गया था तो उस का कोई अच्छा दोस्त भी नहीं था. और बोलता अब यह शराब लकड़ियों पर ही छूटेगी. उसे और थोड़ा करीब से जाना तो पाता चला उस का असल व्यक्तित्व क्या है: वह दिल से मासूम और भला इंसान, एक ऐसा इंसान जो छोटे बच्चो से बहुत प्यार करता था. कभी कहीं जाता, जहा कहीं बचे देखता, उन से प्यार से मिलता. कई सामाजिक बुराइओं पर उस ने अपने विचार बांटे जिस से कि पाता चला कि वह अंदर से कितना नेक इंसान. अपने माता पिता को बेहद प्यार करता अपने रिश्तेदार के बच्चो को अपना बच्चा समज के प्यार करता. किसी दोस्त को कोई भी ज़रूरत पड़ी तो उसी वक़त उस की मदद करने पहुांच जाता अपने रिश्तेदारो से मिलना, उन से बात करना उसे सब पसंद था. मतलब वह अकेले नहीं बल्कि एक परिवार में मिलजुल के रहना पसंद करता था. अगर कोई बेसहारा या वक़त का मारा कोई मिल जाता तो उस के दुःख सुनता. अगर यह कहू तो गलत न होगा कि वह एक हीरा था जो कि समय और मिटटी की धूल में छिप गया था. कभी कभी दुखी मन से कहता था कि मैं तो शराबी हूँ, में तो किसी काम का नहीं, मुझ से अच्छे लोग तो दूर रहते, मैं एक पारवारिक लड़का नहीं हूँ. उस के एक एक आंसू के साथ साथ यह लफ्ज़ उस की ज़ुबान से निकलते थे. उस ने बताया कि अब घर से पैसे मिलने कम हो गए थे क्यूंकि घर वाले अब गालिया देते कि तू पैसा नशे में बर्बाद करता, कभी कभी उसे प्यार से भी समझाते थे, पर फिर बोलते तू तो शराबी है. उस के मन में यह बात बैठ चुकी थी कि वह शराबी है और वह एक अच्छा इंसान नहीं है. मैंने एक कोशिश कि उसे अपने अंदर के एक अच्छे इंसान कि पहचान करवाने की. कोशिश की उसे उस इंसान से मिलवाने की जो बहुत दिमाग वाला था, वह जो चाहे तो कोई भी काम करे और सही तरीके से पैसा कमा सकता था. वह जो किसी से शादी करे तो उस की ज़िमेदारी के साथ साथ एक बहुत अच्छा जीवन साथी साबित हो सकता tha. मेरी कोशिश कामयाब हुई अब उसे अपने अंदर के उस इंसान की पहचान हो चुकी थी. वह अब पहले से बहुत बदल गया, उस ने अपनी ज़िंदगी को एक नई दिशा देने का सोचा पर हमेशा उस के सामने उस की पहले की किये हुई गलतियां सामने आ जाती, जिस से उस का आतम विश्वास टूट जाता था. अब कोई साथ भी देने को तैयार नहीं था क्यूंकि सब यही सोचते थे कि यह कुछ नहीं कर सकता. उसे समजाया कि देखो काम कोई छोटा बड़ा नहीं होता, अगर पैसा है ज़िंदगी की बाकी ज़रूरत के लिए तब भी खुद को व्यस्त रखने के मंतव से कोई काम करो. वह नशा मुक्ति केन्दर नहीं जाना चाहता था, न ही कोई दवा लेने चाहता था, इस लिए उसे समजाया की घर पर रहते हुए भी खुद को ठीक कर सकते हो. खुद को इतना व्यस्त करो के नशे की तरफ धियान न जाये, अपने को aise दोस्तों की सांगत से दूर रखो जो तुमसे शराब की बात करते, अगर कोई शराबी बोल देता तो गुस्सा करके और शराब मत पियो, कहीं किसी पार्टी पे जाते हो और रिश्तेदार जो कुछ अपने लोग बोल देते की पी ले और वह इंतज़ार करते की तुम्हारा नाटक शुरू हो, उन सब से बचो. घर में जब खाली समय हो, उस वक़त टीवी देखो, कुछ गेम्स खेलो, बच्चो के साथ समय व्यतीत करो. और हां हो तो भगवान का नाम लो ता की वह तुम्हे शक्ति दे इस बुरी आदत से बाहेर आने की. उस ने शुरुवात भी की लेकिन देर हो चुकी थी क्यूंकि लीवर जवाब दे चूका था, उसे खून की उलटी हुई और अब उसे लगा वह हार गया ज़िंदगी से, चिल्ला चिल्ला के रोया, वह जीना चाहता था, वह एक परिवार चाहता था, जिस में उस की पत्नी हो, उस के बच्चे हों. आखिर एक दिन आया जब उस की बात सच हों गई, लकड़ियों की सेज पे था वह और अब शराब छूट चुकी थी, वह दोस्तों जिन के साथ बैठ के शराब पीता था, बोल रहे थे ये तो होना ही था, पीता इतनी था, सुनता किसी की नहीं था, तो यही अंत था इस का. यह वह दोस्त थे जिन के वह एक आवाज़ पे उनकी मदद करने आ जाता था. दोस्त जिस को वह हस्पताल ले कर गया था उसे समजाया था की वह शराब छोड़ दे, वह उस की मयत पे तो नहीं गया था क्यूंकि बहुत व्यस्त था, पर हां यह ज़रूर बोला की मैंने भी तो नशा छोड़ा. आज देखो कितनी अच्छी ज़िंदगी जी रहा हूँ, यह शराबी था, इस का यही अंत था. आज याद आ रही थी उस की वह कहीं हुई बाते की मुझे नहीं समझता, कोई नहीं जनता. माँ बाप भी सोच रहे थे की कहाँ गलती हुई काश इस पैसे से उस की ज़िंदगी वापिस ला पाते. पर सब खत्म हों चूका था ……..

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